Youth and National Unity in India

युवा पीढ़ी किसी भी देश की नींव होती है। जिस तरह से एक इमारत बिना मजबूत नींव या आधार के खड़ी नहीं रह सकती है, उसी तरह से कोई भी देश योग्य, कुशल एवं समर्पित युवाओं के बिना जीवित या प्रगति नहीं कर सकता है। युवाओं को अगर सही प्रेरणा व अवसर दिया जाए तो किसी भी देश को महाशक्ति बनने में देर नहीं लगेगी। हालांकि राष्ट्रीय एकता की भावना को विकसित किए बिना यह करना मुमकिन नहीं है।

राष्ट्रीय एकता का वास्तविक मतलब है कि देश के सभी लोगों को एक धागे में पिरोया जाए और उन्हें एक मंच पर लाया जाए। यह एक भावना है जो हमें अपनी विरासत पर गर्व कराती है और देश के सभी लोगों को एक समान बंधन में बांधती है। किसी भी देश की प्रगति वहां के युवाओं पर निर्भर करती है जो कि सामंजस्यपूर्ण विकास के अहम रास्ते पर राष्ट्र को ले जाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं। उन्हें राष्ट्रीय एकता की भावना को जीवित रखने के लिए जाति, पंथ, धर्म और भाषा जैसे सभी मतभेदों से ऊपर उठ जाना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में युवाओं की भूमिका

हमारे देश ने कई दिशाओं में प्रगति हासिल की है, लेकिन देश के युवाओं को यह जानना होगा कि एकता की भावना को कभी-कभी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। फूट और कट्टरता का बल एक देश और एक व्यक्ति के पोषित आदर्शों को नष्ट करने की धमकी देता है। अक्सर भाषा, क्षेत्र, धर्म और जाति के प्रति वफादारी के नाम पर जुनूनी उत्तेजना का भड़काया जाता है और मातृभूमि के प्रति समर्पण से हटकर समुदाय को प्राथमिकता दी जाती है। आज देश के कश्मीर और उत्तर-पूर्व जैसे कई स्थानों पर अलगाव की भावना प्रचलित है।

 

1947 में हुए भारत विभाजन के घाव आज भी अच्छी तरह से नहीं भरे हैं, साथ ही पड़ोसी देश पाकिस्तान हमेशा से देश में शांति और सामंजस्य को अस्थिर करने की कोशिश करता रहा है। देश की एकता और अखंडता के लिए नकारात्मक परिणामों के साथ विभिन्न समुदायों के बीच लगातार दंगे होते रहे हैं। हमें राष्ट्रीय अखंडता के रास्ते में आने वाली बाधाओं जैसे कि राष्ट्रीय रूढि़वाद, क्षेत्रीयवाद, जातीयता, जातिवाद और सांप्रदायिकता की शक्तियों का मुकाबला करने की आवश्यकता है। भारत एक विशाल देश है, जहां इसके नागरिकों को विभिन्न भाषाओं के आधार पर कई जातियों और उप-जातियों में विभाजित किया गया है।

भारत विभिन्न धर्मों जैसे हिंदू, इस्लाम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन आदि धर्मों का अनुसरण करने वालों का घर है। देश भर में सभी लोगों को एक आधार या अन्य किसी पर विभाजित किया जाता है। राष्ट्र की प्रगति के लिए विचारों की एकता, एक्शन और आपसी भाईचारा बहुत जरूरी है तथा देश के युवा राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं।

युवाओं को नेतृत्व की भूमिका लेनी चाहिए

भारत की लगभग 66 प्रतिशत जनसंख्या युवा है और इसलिए राष्ट्रीय एकता में उनकी भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। हमारे पास स्वतंत्रता संग्राम में युवा लोगों के योगदान का लंबा और समृद्ध इतिहास मौजूद है। हालांकि आज भ्रष्टाचार सत्ता के गलियारों में बड़े पैमाने पर है और अधिकांश राजनैतिक दल जाति, पंथ और धर्म के आधार पर देश को विभाजित करके खुद पनपने की तलाश में रहते हैं। इसका अर्थ यह है कि युवाओं को देश का सही प्रकार से नेतृत्व करने के लिए बड़ी संख्या में सामाजिक और राजनैतिक दलों की सदस्यता प्रदान करनी चाहिए।

सभी लोगों में राष्ट्रीय एकता को कैसे बढ़ावा देना चाहिए, यह एक सबसे बड़ा मुद्दा है। इस पृष्ठभूमि में, राष्ट्रीय एकता एक ऐसा उपकरण है जोकि उग्रवादियों और कट्टरपंथियों के हाथों में पड़ने से देश को बचाने में मदद कर सकता है। युवा, जो कि भविष्य के लीडर्स हैं, वो देश की एकता में एक अहम भूमिका निभाते हैं। युवा शक्ति बड़े पैमाने पर चमत्कार कर सकती है, बशर्ते, उनकी ऊर्जा और उत्साह को विकास कार्य के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय एकता और एकीकरण की किसी भी चुनौती पूरा करने के लिए युवाओं की ताकत, शक्ति और क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिए।

नई पीढ़ी के युवा पुरुष और महिलाएं समाज के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान में एक महत्त्वपूर्ण बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। यदि युवाओं के विचारों, विचारधारा और आदर्शवाद को सही मायने में उपयोग में लाया जाता है तो राष्ट्रीय एकता का काम आसान हो जाएगा और देश का भविष्य उज्ज्वल होगा।

युवाओं का उद्देश्य यह होना चाहिए कि वो देश को प्रगति और समृद्धि के पथ पर अग्रसर करें और समाज को दुख देने वाली बीमारियों को खत्म करें। और, आशा और खुशी के इस नए युग में इस शानदार काम में, हर किसी के पास एक अलग और स्पष्ट भूमिका हो। जैसे मशीन में एक दांत।

युवाओं के लिए समय की जरूरत यह कहती है कि देश की सामने आनी वाली किसी भी चुनौतियों का उन्हें एहसास होना चाहिए। उन्हें राजनीतिज्ञों या शक्तियों पर सब कुछ दोष नहीं देना चाहिए कि वो हैं इसलिए हमें शांत बैठना है। राष्ट्रीय एकता और एकीकरण को बढ़ावा देने के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए उन्हें सही तरह की पहल दिखानी चाहिए।

राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में तकनीकी प्रेमी लोगों की भूमिका

किसी भी देश की एकता निस्संदेह उस देश के युवाओं पर निर्भर करती है। आख़िरकार, वे राष्ट्रीय हितों से संबंधित मामलों को संभालने की अहम जिम्मेदारी लेते हैं। जहां तक राष्ट्रीय एकता का संबंध है, उन्हें देश के नागरिकों के बीच एक एकता को बनाए रखने के लिए सभी बीमारियों का इलाज करने की दिशा में काम करना होगा।

सौभाग्य से, आज वे विभिन्न प्रभावशाली सोशल नेटवर्किंग उपकरणों से लैस हैं जिनका वे राष्ट्रीय एकता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए उपयोग कर सकते हैं। नई तकनीकी के आ जाने से आम लोगों को सूचित करना आसान हो गया है जोकि अपने साथियों के माध्यम से पहुंचाना बहुत ही सुविधाजनक हो गया है। इससे उन्हें जाति, पंथ, दूरी, धर्म इत्यादि जैसे भौतिक अवरोधों को काटने में मदद मिलती है।

युवा होने के नाते उन्हें उन सभी मिशन में आग लगाने के लिए सिर्फ चिंगारी की आवश्यकता होती है जिन्हें वे करना चाहते हैं और राष्ट्रीय एकता उनमें से एक है। स्वामी विवेकानंद जी ने ठीक ही कहा है कि ‘‘युवा लोग इस्पात या पत्थर की तरह हैं, वे चट्टानों को तोड़ सकते हैं इसलिए युवाओं को उठना और जागना चाहिए, और अपने लक्ष्य को हासिल करने से पहले सोना नहीं चाहिए।’’

यदि आज के युवक एकजुट होकर काम करना शुरू कर देते हैं तो देश प्रगति के रास्ते पर तीव्र गति से आगे बढ़ेगा। राष्ट्र की अखंडता केवल युवाओं की अखंडता का नतीजा है। अगर युवा एक संयोजक बल के रूप में काम करते हैं तो हमारा राष्ट्र एक आदर्श और दुनिया का सबसे प्रगतिशील देश बन जाएगा।

युवाओं की पहचान के रूप में ‘‘द जेन नेक्सट’’ राष्ट्र की एक रीढ़ है और इसलिए उन्हें राष्ट्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए रूढिवाद, पक्षपातपूर्ण या संकीर्ण मानसिकता को छोड़ देना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि वे एक राष्ट्र से संबंध रखते है। भले ही वे बिहारी, बंगाली, पंजाबी, या गुजराती हैं लेकिन इनसे सब से बढ़कर वे एक भारतीय हैं।

 
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